July 19, 2011

My way is the Highway


एक पन्ना जिस पर पूरा सोने का रंग पसरा हुआ था...और इस पूरे सुनहरे रंग के पन्ने पर सिर्फ़ दो और रंग दिखाई पड़ सकते थे...छिटपुट हरा रंग...और उसके बीच एक बहुत ही बारीक लकीर जो काले रंग की थी...सीधी काली लकीर...जिसे मैं पकड़े चला जा रहा था...ये सीधी लकीर कभी कभी मुड़ भी रही थी और कभी ऊपर और कभी नीचे जा रही थी...और मैं ख़ुद को जाते देख रहा था...ऊंचाई से, किसी काल्पनिक छोटे प्लेन या हेलिकॉप्टर पर सवार होकर...
बहुत सटीक तरीके से नहीं बता सकता कि ये कहां की बात है लेकिन मैं ये बता सकता हूं कि मैं राजस्थान में था
...जहां की लंबी सीधी सपाट सड़कें सम्मोहित करने वाली थीं...दोनों ओर सुनहरे रेत की टीले दीख रहे थे, सड़क किनारे कुछ कंटीले पौधे और छोटे पेड़ दिखाइ दे रहे थे और मीलों तक ख़ाली सड़कें (ना जाने क्यों हमने दूरी को किलोमीटर में नापना शुरू कर दिया...दूरी की सारी तासीर चली जाती है ) और इस दौरान वही रास्ते इतने नए और आकर्षक लग रहे थे जिन पर से मैं पहले भी गुज़रा था...लेकिन कार में, ज़्यादातर शीशे चढ़ाकर, एसी ऑन करके...लेकिन पहली बार मैं मोटरसाइकिल पर था...हवा के थपेड़े सिर को पीछे धक्का दे रहे थे और उसके शोर से कान भरा हुआ था...और साथ में आवाज़ थी उन बाइक्स की जिन पर मैं सवार होकर दिसंबर के शानदार मौसम में राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, पोखरन, जेसलमेर और ओसियां जैसी जगहों से गुज़र रहा था...नामी अमेरिकी मोटरसाइकिलें हार्ली डेविडसन पर । ये मोटरसाइकिलें दुनिया की सबसे नामी बाइक ब्रांड में सबसे पुरानी तो है ही, सबसे बड़ी भी कही जा सकती हैं। भारत में ये थोड़े वक्त पहले आई है औऱ अब भारत में मोटरसाइकिलों को असेंबल करने की तैयारी है। सुपरलो और आयरन 883 नाम के दो मॉडल कंपनी भारत में असेंबल करेगी और ये अब तक की सबसे सस्ती हार्ली मोटरसाइकिलें होंगी। साढ़े पांच से साढ़े छह लाख रु में। और इस राइड के ज़रिए ही कंपनी ने दोनों बाइक्स को पेश किया। लेकिन मज़े की बात ये थी कि केवल ये दो नहीं बल्कि 14 और मोटरसाइकिलें थीं जिन पर हम सवारी कर सकते थे । दरअसल ये मोटरसाइकिलें आमतौर पर लंबी दूरी पर जाने यानि क्रूज़िंग के लिए बनाई जाती हैं। और अमेरिका जहां दशकों से मोटरसाइकिल पर ख़ानाबदोशी को एक धर्म माना जाता है , इस बाइक को चलाना एक इबादत ।
राजस्थान के इस राइड के दौरान मुझे बहुत अच्छा लगा जब गांवों और कस्बों के किनारे खड़े नौजवानों और बच्चों ने हाथ हिलाकर हमार स्वागत किया
, एक बात खटकी भी कि एक भी ग्रुप ऐसा नहीं मिला जो हमारी तरह इन सड़कों पर निकला हो। और लगा कि भारत में अभी वो ट्रेंड आने में थोड़ा वक्त है जब लंबी राइड पर जाने वाले लोगों की तादाद बढ़ती जाएगी, क्योंकि फिलहाल सभी बाइक्स को रोज़मर्रा की यातायात का साधन तक ही मानते हैं...अलग अलग लोग, अलग अलग दुनिया के लोगों से मिलने और कुदरत के सभी रंगों से रूबरू होने का ज़रिया नहीं।
तो मैंने सोचा कि उन सभी प्रैक्टिकल लोगों से गुज़ारिश करूं कि आप भी निकलिए अपनी अपनी बाइक्स पर। ज़रूरी नहीं कि आप हार्ली पर ही जाएं
, आप एनफील्ड, करिज़्मा, यामाहा, पल्सर किसी पर भी जा सकते हैं, सिर्फ़ ये ध्यान रखिए कि वो स्वस्थ बाइक हो और रास्ते में आपका साथ ना छोड़े। रास्ते में ख़राब ना हो। लेकिन जाइए ज़रूर। क्योंकि आपको पता नहीं कि एक अच्छी लंबी राइड आपके लिए क्या कर सकती है...उस सफ़र के दौरान कई ऐसे मौक़े आएंगे जब आपको ना तो गुज़रे पल परेशान करेंगे और आने वाले पल की फिक्र होगी...आपके लाइफ़ को रीचार्ज कर सकते हैं ऐसे छोटे सफ़र, आप अपने ही देश को उस नज़र से देख पाएंगे जैसे आपने देखा नहीं था, मिट्टी की ख़ुशबू महसूस कर पाएंगे, नए लोगों से मिलेंगे, दिमाग़ खुलेगा और एक और बात...ख़ूब थकेंगे और आपको अच्छी नींद भी आएगी। ( कुछ वक़्त पहले ये प्रभात ख़बर में छपी थी )

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