July 31, 2012

।।। युगे-युगे ।।।

तो बहुत दिनों के बाद मौक़ा लगा मुझे सौ सीसी की बाइक चलाने का। आमतौर पर सुपरबाइक के ग्लैमर और रोमांच में हम करीने से इन मोटरसाइकिलों को अपनी सोच के कोने में रख देते हैं। ऐसी बात नहीं कि ये नहीं मालूम हो कि भारतीय मोटरसाइकिल बाज़ार के ब्रेड एंड बटर यही कहे जाते हैं। पता है। लेकिन फिर भी ये लिस्ट में निचले स्थानों पर रहते हैं। जिसके पीछे एक ख़ास वजह है इन मोटरसाइकिलों का नयापन या कहूं कि नएपन की कमी। दरअसल इस सेगमेंट में सालों से एक ही कंपनी ने क़ब्ज़ा कर रखा है ( हम हीरो के अलावा और किसकी बात कर सकते हैं) और वो भी अपने सालों पुराने प्रोडक्ट के साथ। हो भी क्यों ना, ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं है तो फिर उनमें बदलाव क्या करना। और इसी वजह से हम हर साल हीरो की बाइक्स के नए ग्राफ़िक्स के साथ नए वर्ज़न देखते हैं जो मेकैनिकली लगभग वैसी ही होती है जो पिछले साल थी। तो ऐसे कम बदलावों के साथ नई सौ सीसी या एंट्री मोटरसाइकिलों को चलाने का बहाना नहीं मिल पाता। वैसे हाल फ़िलहाल में बजाज ने इस सेगमेंट में थोड़ी पकड़ बनाई अपनी डिस्कवर 100 के साथ। इस सेगमेंट को देखें तो समझ में आ जाएगा कि देसी ग्राहकों को क्या चाहिए। वो है बहुत ही सिंपल किफ़ायत और भरोसा। और इसी वादे के साथ एक नई एंट्री हुई है एंट्री सेगमेंट में। ये है हौंडा नई ड्रीम युगा। जो दरअसल 100 सीसी नहीं बल्कि 110 सीसी की है लेकिन हां बात तो मैं उसी एंट्री सेगमेंट का कर रहा हूं। एक तो बिल्कुल नई सवारी ऊपर से हौंडा के लिए इतनी अहम क्योंकि कंपनी अब भारत में हीरो को पछाड़ कर नंबर एक बनना चाहती है। इसीलिए एक सस्ती, किफ़ायती और ठोस मोटरसाइकिल लाने का प्लान बनाया हौंडा ने। जिसमें बहुत हद तक सफल भी हुई है। सेगमेंट के हिसाब से सस्ती ही कही जाएगी जहां पर साढ़े 44 से साढ़े 46 हज़ार में मौजूद है नई युगा।
इसके अलावा इस मोटरसाइकिल के 110 सीसी के इंजिन से कंपनी का दावा है कि माइलेज भी 72 किमी प्रतिलीटर का आएगा। ख़ैर चलाने पर मुझे ये अच्छी सवारी लगी। वो जिसका संतुलन भी ठीक था और इंजिन भी इसका सुलझा-स्मूद था। हालांकि किसी सुपरबाइक की तरह मैं नहीं बात कर रहा हूं, लेकिन इस सेगमेंट की मोटरसाइकिलों से जैसी उम्मीद की जाती है, उसमें ये खरी उतरी मेरे हिसाब से । हैंडलिंग भी मुझे संतुलित लगी, जो आड़े-तिरझे रास्तों पर आराम से भाग रही थी। कंपनी का ध्यान इसे ठोस बनाने में भी लगा था, जिससे की कस्बाई इलाक़ों में अगर इस पर सामान भी लाद कर ले जाते हैं तो कमज़ोर ना पड़े। हां ये बात अलग है कि देखने में हो सकता है पहली नज़र में थोड़े पुराने-डिज़ाइन की लगे, बोरिंग लगे। मेरे हिसाब ने इसे स्टाइल देने और डिज़ाइन करने में कुछ ज़्यादा ही सादगी और गंभीरता से काम लिया है, क्योंकि भले ही इस सेगमेंट में लोगों को पैसा वसूल सवारी की दरकार होती है, लेकिन यहां भी थोड़े बहुत स्टाइल की मांग तो हो ही गई है। ख़ैर इसका लुक हो सकता है बेमानी हो जाए अगर लंबे वक्त तक ग्राहकों को ड्रीमयुगा तसल्ली दे। कंपनी को बस करना है कि इस मोटरसाइकिल के साथ भी वैसी ही मानसिक शांति का इंतज़ाम कर दे ग्राहकों के लिए जो हीरो की ख़ूबी रही है। जिसके लिए सस्ते रखरखाव के साथ साथ देश के कोने कोने में नेटवर्क और अच्छी आफ़्टर सेल्स सर्विस ज़रूरी है

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