November 05, 2012

Diavel या डेविल कहें ...


दिल्ली में मॉनसून की फ़िल्मी हीरो की तरह यादाश्त चली गई थी, जो अचानक तभी लौटी जब मुझे एक दमदार मोटरसाइकिल चलाने का बहुत दिनों के बाद मौक़ा मिल रहा था। और खटका लगा हुआ था कि कहीं बारिश तो नहीं हो जाएगी। तो सुबह पांच बजे से बादल के ऊपर टकटकी लगाए बैठा था। और फिर लगा कि चांस ले लिया जाए, इटैलियन डुकाटी की एक ऐसी मोटरसाइकिल के लिए जो मैंने आजतक नहीं चलाई थी। ऐसा नहीं कि बारिश में चला नहीं सकता था, लेकिन इस मोटरसाइकिल के लिए रिस्क लेना थोड़ा ज़्यादा हो जाता है। वो इसलिए क्योंकि इस मोटरसाइकिल की क़ीमत है मात्र पच्चीस लाख रु। इसका नाम है डियावेल, जिसमें वही दो पहिए और एक इंजिन लगा है, लेकिन क़ीमत इतनी कि लग्ज़री कारें भी फ़ेल हो जाएं। और जब क़ीमत के बारे में पता चल जाता है तो नज़रिया बदलना तो लाज़िमी है। ख़ैर, बादल के भरोसे पर निकला मैं इस मोटरसाइकिल को लेकर खुली सड़क पर।



दमखम के बारे में क्या बताऊं, सिर्फ़ ये कह सकता हूं कि काफ़ी है। 162 हॉर्सपावर की ताक़त आ रही है 1200 सीसी के इंजिन से। तुलना आप कर सकते हैं स्विफ़्ट के साथ। स्विफ़्ट में भी 1200 सीसी का इंजिन लगा है और उससे दुगनी ताक़त देने वाली और पांच गुना हल्की मोटरसाइकिल को चलाने का क्या रोमांच हो सकता है, इसका अंदाज़ा आप लगा सकते हैं। अगर नहीं तो बताने की कोशिश करता हूं। ऐक्सिलिरेटर को घुमाते ही ये मोटरसाइकिल हवा से बातें करने लगेगी, इतनी तेज़ आगे जाएगी कि लगेगा कि अगला पहिए अब अपनेआप हवा में उठने वाला है, अचानक बढ़ी रफ़्तार आपको मोटरसाइकिल से पीछे धकेल रही है और आमतौर पर जितने वक्त में हमें जो दूरी तय करने की आदत होती है उससे कहीं आगे हम कहीं जल्दी पहुंच जाते हैं। ये वो रफ़्तार होती है जिस पर चलने की हमें क्या किसी को भी आदत नहीं होती है, और अगर इस जोश में होश खो बैठे तो अनर्थ हो जाता है, और संभले रहे तो रोमांच का अलग एहसास होता है, कुछ वक्त के लिए दीन-दुनिया को आप भूल जाते हैं। एक पैरलल दुनिया होती है ये। लेकिन केवल डियावेल में ये ख़ूबी नहीं होती है, कई अच्छी सुपरबाइक्स आपको ये एहसास दिलाती हैं। तो फिर ऐसे में क्यों ऐसा है कि डियावेल की क़ीमत 25 लाख रु है।
सबसे पहले ये बता दूं कि इस मोटरसाइकिल के कई वेरिएंट हैं, जिनकी शुरूआत बीस लाख रु से शुरू होती है। जिस वेरिएंट को मैं चला रहा था वो डियावेल कार्बन कहलाती है, जिसमें कार्बन फ़ाइबर का काफ़ी इस्तेमाल है, वो 25 लाख रु की है। वो भी एक्स शो रूम क़ीमत। फ़ीचर्स कई सारे ऐसे हैं जिनके बारे में जानकर अचरज होगा। जैसे राइडिंग मोड, यानि अलग अलग तरह की राइड के लिए अलग मोड। सिर्फ़ एक बटन दबाइए और बाइक में लगा कंप्यूटर इंजिन से निकलने वाली ताक़त को कम या ज़्यादा कर देगा, 163 हॉर्सपावर को घटा कर 100 हॉर्सपावर कर देगा, या इसका उल्टा भी। हैंडलिंग को सख़्त या मुलायम कर देगा। शहरी माहौल के लिए अलग मोड, हाईवे के लिए अलग और तेज़ रफ़्तार सुपरबाइकिंग के लिए अलग। टंकी पर लगा छोटा सा डिस्प्ले वो सब जानकारी देगा जो कई महंगी कारें नहीं देती हैं। यहां तक की टायर में हवा का प्रेशर है कि नहीं। लगता है कि दो पहिए पर चलता फिरता ये कंप्यूटर ही है। लेकिन इन सब फ़ीचर्स के बावजूद भी मन में सवाल ज़रूर उठेगा कि इतनी ज़्यादा क़ीमत क्यों है... तो फिर याद कीजिए...इंपोर्ट करने पर इन गाड़ियों की क़ीमत कस्टम की वजह से दुगनी हो जाती है। तब जाकर इसकी क़ीमत का गणित सुलझता है।
बावजूद इस क़ीमत के ये मोटरसाइकिल भारत में बिकती है। साल में 30-40 का आंकड़ा है। जीहां भारत में ये मोटरसाइकिल भी बिक रही है।
((पुराना लिखा है, फ़ोटो देख रहा था बाइक की तो याद आई इसकी ))
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