May 02, 2013

Honda Dream Neo.


ट्वेंटी-ट्वेंटी का खेल ये मोटरसाइकिल कंपनी भी खेल रही है। हौंडा मोटरसाइकिल और स्कूटर इंडिया लिमिटेड ने अपने लिए कुछ वक्त पहले अपने लिए ये लक्ष्य तय किया था। भारतीय मोटरसाइकिल मार्केट में नंबर वन बनना। कंपनी का सोचना साफ़ है कि अगर उनके सहारे हीरो नंबर वन बाइक कंपनी बन गई तो फिर वो क्यों नहीं बन सकते । तो कंपनी ने पूरी कोशिश चालू कर दी है। लेटेस्ट कोशिश है ड्रीम नीयो। दरअसल कंपनी को सबसे पहले उसी सेगमेंट में क़ब्ज़ा करना है जो कुल  मोटरसाइकिल मार्केट का आधा से ज़्यादा है। और यही है वो सेगमेंट जहां पर हीरो ने क़ब्ज़ा कर रखा है, हर महीने अपनी स्प्लेंडर और पैशन की बिक्री को 4-5 लाख टच कराती है। ऐसे में किसी भी कंपनी को नंबर के मामले में हीरो से आगे जाना है तो फिर उसे इसी एंट्री मोटरसाइकिल सेगमेंट में पैठ बनानी होगी। जिस सिलसिले में हौंडा की पहली कोशिश ड्रीम युगा रही । एंट्री सेगमेंट की मोटरसाइकिलों के सिलसिले में हौंडा की पहली कोशिश। सस्ती किफ़ायती मोटरसाइकिल। अब कंपनी ने उसी में कुछ जोड़ा है, थोड़ा स्टाइल एलिमेंट जोड़ा है, रंग जोड़े हैं। ड्रीम युगा बिल्कुल सादी थी, नीओ आज के वक्त की एंट्री मोटरसाइकिल लग रही है। हल्के फुल्के स्टाइलिंग के साथ। हौंडा ने इसे तीन वेरिएंट में पेश किया है। जिनकी क़ीमत 43150 से 47240 रु के बीच है। जहां शुरूआती मॉडल किकस्टार्ट, ड्रम ब्रेक और स्पोक व्हील का कांबिनेशन है, वहीं टॉप एंड में सेल्फ़ स्टार्ट विकल्प है और साथ में अलॉय व्हील्स। कंपनी के हिसाब से इसकी माइलेज अपने सेगमेंट में सबसे ज़्यादा है , 74 किमीप्रतिलीटर ।

इसके अलावा कुछ और फ़ीचर्स हैं जिस पर हौंडा काफ़ी उत्साहित है। जिनमें ऊंचा ग्राउंड क्लियरेंस और एडजस्टेबल सस्पेंशन भी है। कुल मिलाकर कंपनी को लग रहा है कि ये ऐसा पैकेज है जो कंपनी की सालाना बिक्री के लक्ष्य को ऊंचा करने में मदद देगी। कंपनी इस साल भर में लगभग 40 लाख टू व्हीलर्स बेचना चाहती है। और उसे लग रहा है कि 8 लाख बिक्री तो इन ड्रीम सीरीज़ की बाइक्स से मिलने वाला है। ड्रीम युगा और नीयो के अलावा भी एक ड्रीम सीरीज़ की बाइक लौंच अभी होनी बाकी है। 
यानि कुलमिलाकर हौंडा को लग रहा है कि माइलेज , क़ीमत और फ़ीचर्स मिलकर ऐसा पैकेज बनाएंगे जो उसके बाज़ार का मज़बूत करेंगे। और कंपनी ने अपनी रणनीति भी उसी हिसाब से तैयार करके रखी है, जहां पर कई लौंच पाइपलाइन में हैं। 
हौंडा की ये कोशिशें उसके कांपिटिशन को ज़रूर टेंशन दे रही होंगी। ख़ासकर बजाज को, जो लंबे वक्त से इस सेगमेंट में बड़े हिस्से की कोशिश में लगी हुई है। टीवीएस भी ऐसी ही कंपनी हो जो काफ़ी दिनों से उहापोह में जी रही है। इन सबके बीच हौंडा के पास बढ़त है अपने अंतर्राष्ट्रीय पोर्टफ़ोलियो का । जहां कंपनी के पास लगभग हर सेगमेंट के लिए की विकल्प अतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद हैं। चाहे वो सौ सीसी की किफ़ायती मोटरसाइकिल या हज़ार सीसी की सुपरबाइक्स।  ये सब देखते हुए हीरो फ़िलहाल भले ही निश्चिंत लग रही हो, बहुत देर तक नहीं रह सकती है। कंपनी नया सोचने में लगी है, नए पार्टनरशिप नई टेक्नॉलजी की कोशिश में। बहुत जल्द कांपिटिशन बहुत ज़्यादा बढ़ने वाला है। 

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