July 03, 2014

गर्मागर्म ड्राइव


मौसम ऐसा ही है जहां पर हममें से हर कोई नई मंज़िल की तलाश में निकलने की सोच रहे हैं, ये बात अलग है कि छुट्टी मिले या ना मिले अपनी अपनी नौकरियों से। चलिए मान कर चलते हैं कि मौसम है गर्मियों की छुट्टी का, यानि बच्चों की छुट्टियों का तो ऐसे में ज़्यादातर प्लान करके रखते हैं, और उनमें से कई का प्लान होता है पूरे परिवार के साथ ड्राइव करके घूमने जाने का। तो ऐसे ही परिवारों के लिए ख़ासतौर पर आज सोचा कुछ लिखा जाए, वो जानकारियां जो आपके पास होती हैं लेकिन फिर भी फिर से याद दिलाने में कोई नुकसान नहीं है। वैसे गर्मियों में किसी भी तरीके के ड्राइविंग के लिए टिप्स कामके होते हैं, चाहे आप लौंग ड्राइव पर हों, या स्मॉल ड्राइव पर। परिवार के साथ हों या फिर अकेले।

सबसे पहले तो आपको अपनी यात्रा का प्लान करना ज़रूरी है। कब निकलना है, दिन के किस वक्‍त निकलना है, जिससे ट्रैफ़िक कमसेकम मिले। कौन सा रूट पकड़ना है- ये अहम मुद्दा है क्योंकि भारत में सड़कों का कंस्ट्रक्शन कैसे चलता है ये हमें और आपको सबको पता है। ऐसे में कब कहां अटक जाएं ये पता नहीं। और छुट्टी पर जाने के रास्ते ऐसे जाम मज़ा किरकिरा कर देते हैं। इसके लिए सबसे पहले तो अपने दोस्तों-सहकर्मियों से बात करें। ज़्यादातर टूरिस्ट स्पॉट पर लोगों का आना जाना लगा रहता है, और रास्तों के बारे में वो लेटेस्ट जानकारी रख सकते हैं, कईयों के रिश्तेदार दोस्त उन इलाक़ों में रहते हैं। और इसके बाद रामबाण है इंटरनेट, जाइए नेट पर और सर्च कीजिए उन हाईवे और रोड के बारे में । बहुत से ऐसे वेबसाइट और फ़ोरम हैं जहां पर लोग अपनी यात्राओं का अनुभव लिखते हैं, ज़्यादातर मौक़े पर ये अनुभव काम के होते हैं। मेरा तजुर्बा भी यही रहा है कि रास्ते की जितनी जानकारी हो, आप सफ़र के लिए उतना तैयार रहते हैं। 

फिर आते हैं आपकी कार पर। यानि गाड़ी कितनी तैयार है, लंबे सफ़र, देर तक ड्राइव, गर्मी और बुरी सड़कों के लिए। लौंग ड्राइव पर कारों की असली रगड़ाई होती है तो इसके लिए उन्हें अच्छे से तैयार भी करना चाहिए। बिना कार की तैयारी के निकलना बहुत बड़ी भूल होगी। तो इसके लिए ले जाइए वर्कशॉप पर, और चेक करवाइए ट्यूनिंग, बैट्री, बेल्ट वगैरह। किसी पाइप या रबर में कोई लीकेज तो नहीं , चेक करवाइए। ज़रूरत हो तो ऑयल चेंज करवाइए और टायर भी रोटेट करवाइए। एसी की भी सर्विसिंग नहीं करवाई हो तो करवा लीजिए। काम आएगा। एक और ज़रूरी बात, वाइपर को भी चेक कीजिए और वाइपर के साथ वाले वाशिंग के लिए भी पानी भरा होना चाहिए। बारिश हो ना हो, कई बार पहाड़ी इलाक़ों में मौसम बदलता है। वैसे भी ड्राइव के दौरान भी कभी भी शीशा साफ़ करने की ज़रूरत पड़ सकती है।

लगे हाथों लाइट्स भी चेक करवा लीजिए। हाईवे पर एक भी लापरवाही जानलेवा होती है तो बिना हर लाइट का सही तरीके से काम करना ज़रूरी होता है। शहरी ट्रैफ़िक में भले हमें अहमियत पता ना चले लेकिन हाईवे पर सेफ़्टी के लिए लाइट्स का फ़िट होना बहुत ज़रूरी हैं। 

फिर टायर के बारे में तो आपको याद होगा ही। लंबे सफ़र पर टायरों की भूमिका काफ़ी अहम हो जाती है। एक तो टायर को चेक करना ज़रूरी है। अगर ज़रूरत से ज़्यादा घिसे हुए टायर हैं तो फिर वो गर्मी में फट सकते हैं। लंबी दूरी की ड्राइविंग में एक तो पहिया गर्म होता है ऊपर से मौसम की वजह से सड़कें तपी हुई होती हैं, ऐसे में टायर में भरा हुआ हवा गर्म होकर थोड़ा फैलता है, जिसका दबाव घिसे टायर कैसे झेल सकते हैं, तो गर्मियों में टायरों का फटना आम है।और इसी वजह से दूसरा प्वाइंट भी अहम है। टायर अच्छी हालत में होने चाहिए और उनका एयरप्रेशर उतना ही होना चाहिए जितना कंपनी ने निर्धारित किया है। ज़्यादा हवा भरवाएंगे तो गर्मियों में टायरों के लिए जानलेवा हो सकता है। और इन सबको चेक करने के बाद एक और चेकिंग, वो है अापकी गाड़ी की स्टेपनी की, पांचवे टायर की। उसका स्वास्थ्य कैसा है चेक करके रखिए, ज़रूरत है तो हवा भरवा के उसे भी तैयार रखिए।

फिर इससे जुड़ा एक और प्वाइंट। चाहे दो दिन के लिए जाएं या फिर चार दिनों के लिए कितना सामान ले जाना है ये भी ध्यान रखें। बिना मतलब सामान ले जाने कोई मतलब नहीं होता है। उससे ना सिर्फ़ कार में जगह भरता है, एक्सट्रा वज़न टायर पर बेवजह दबाव बढ़ाएगा और माइलेज पर भी । तो सामान पैक करने के वक्त ध्यान रखें। जो चीज़ बिल्कुल ज़रूरी हो वही साथ में ले जाएं। 

अब बात सड़क पर ड्राइविंग की करें तो ये समझना ज़रूरी है कि हाइवे पर ड्राइविंग शहरी ड्राइविंग से बिल्कुल अलग होती है, शहर में कई बार आम ट्रैफ़िक नियमों को तोड़ने पर हम बच जाते हैं तो लगता है कि इन नियमों की ज़रूरत क्या है, लेकिन उनकी असली अहमियत हाइवे पर दिखेगी, जो नियम दरअसल जान बचाने के लिए काम में आते हैं। तो शहर की तरह आड़ी तिरछी, ग़लत ओवरटेकिंग की ग़लतियां मत कीजिए। 
फिर सेफ़्टी के इंतज़ाम भी रखें। जहां हाईवे पर हमारी औसत रफ़्तार कहीं ज़्यादा होती है, ऐसे में सेफ़्टी की ज़रूरत और बढ़ जाती है। पिछली सीट पर भी सीट बेल्ट बांध कर फ़ैमिली को बिठाइए। याद होगा कि हाल में पिछली सीट पर ही बैठे हुए हमारे केंद्रीय मंत्री की दुर्घटना में मृत्यु हुई थी। तो सेफ़्टी हर सीट पर ज़रूरी है। और ये चालान से बचने के लिए नहीं जान बचाने के लिए ज़रूरी है।
और यही सलाह फ़ोन को लेकर भी देंगे, फ़ोन का इस्तेमाल आपकी ड्राइविंग को प्रभावित करता है, चाहे आप कितने भी काबिल ड्राइवर हों। ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपनी ड्राइव को सेफ़ बनाएं, फ़ोन का इस्तेमाल ड्राइव के दौरान ना करें।
आप घंटों लगातार ड्राइव करने से बचें। कई बार थकान होने के बवाजूद हम ड्राइव करते रहते हैं, जो ख़तरनाक होता है। तो चाय कॉफ़ी का ब्रेक, हर डेढ़ दो घंटे पर हो तो बेहतर हो।
हां ध्यान रहे, केवल चाय कॉफ़ी के लिए बियर या शराब के लिए नहीं। ये विडंबना ही है कि भारत में १ लाख ३८ हज़ार लोग सड़क हादसों में मरते हैं, जिनमें से अधिकांश हाइवे पर मरते हैं लेकिन सरकारें हैं कि हाइवे पर शराब की दुकानें खोले जा रही है खोले जा रही है। तो आप कृपया इस जाल से बचिएगा, ड्राइविंग के दौरान शराब बिल्कुल मत पीजिएगा।

एक और सुझाव है, सलाह तो नहीं दे सकता क्योंकि हर इंसान की सोच अपनी अपनी होती है। लेकिन मेरे हिसाब से एक और चीज़ ध्यान रखने वाली है हाइवे पर ड्राइव करते वक्त, वो है आपके सर का तापमान। अाजकल देश के ज़्यादातर शहरों में रोडरेज आम बात है, यानि गर्ममिज़ाजी। छोटी छोटी बात पर बहस लड़ाई का रूप ले लेती है, और अंजाम बुरा होता है। शहर में माहौल दूसरा होता है, हाइवे पर दूसरा। तो सुझाव यहीं दूंगा कि कार के साथ अपने दिमाग़ को भी ठंडा रखिए और निकल जाइए मस्त छुट्टियां मनाने।





इमर्जेंसी के लिए कार में क्या ज़रूरी ? 
फ़र्स्ट एड किट
ज़रूरी दवाईयां
जंपर केबल
जैक
रिपेयर टूल
रोड मैप
टॉर्च लाइट

Ctrl+C और Ctrl+V ना करें । कहीं ना कहीं छपी हुई है।

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