November 18, 2014

कौंपैक्ट सेडान में एक्सेंट

कुछ गाड़ियां ऐसी हैं जिन्हें देखकर कम लोग रुकते हैं, या देखने के लिए कम लोग रुकते हैं, उनमें से एक हैं कौंपैक्ट सेडान सेगमेंट की कारें। किसी भी टेस्ट ड्राइव के वक्त ये दिलचस्प ऑबज़र्वेशन होता है, किस नई कार या सवारी को देखकर कैसी प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। सुपरबाइक को तो पूछिए मत, कोई एसयूवी हो तो भी काफ़ी दिलचस्पी होती है, नई छोटी हैचबैक कारों के लिए भी अक्सर बहुत उत्सुकता देखने को मिलती है सड़कों पर, लेकिन आमतौर पर छोटी सेडान कारों में शायद वो ग्लैमर या अपील नहीं कि नाहक ही कोई रुक कर उन्हें देखे। हां वो ज़रूर रुकते हैं जो इस सेगमेंट की कार के बारे में सोच रहे हैं। और ये देखकर इस सेगमेंट के बारे में छोटा सा कन्क्लूज़न तो निकाला ही जा सकता है। वो ये कि यहां पर ग्लैमर या अपील भले ही ना हो लेकिन प्रैक्टिकल ज़रूर हैं। इसीलिए हम देख रहे हैं कि इस सेगमेंट में तीस फीसदी से  थोड़ी ही कम बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी पिछले साल, और हर महीने इस सेगमेंट में लगभग 24-25 हज़ार कारें बिक रही हैं। जहां पर एक चतुराई से शुरू हुआ सेगमेंट लगातार बढ़ता गया और ग्लोबल कंपनियों ने उसके हिसाब से अपनी स्ट्रैटजी बदली और आज भी हम नए नए प्रोडक्ट इसमें देख रहे हैं। ह्युंडै एक्सेंट उसी कड़ी में अगली कार है। जिसे ग्रैंड आई 10 के प्लैटफॉर्म पर कंपनी ने बनाया और अब जब से लौंच हुई है तब से एक महीने में 11 हज़ार बुकिंग पा गई। ये ह्युंडै के लिए तो बढ़िया ख़बर है ही, साथ में इस सेगमेंट के बारे में भी साफ़ हो रहा है कि नए प्रोडक्ट की गुंजाईश अभी भी है। नई एक्सेंट को चलाने का मौक़ा जब मिला तो इसी सबसे जुड़ा सवाल था कि जिस सेगमेंट में डिज़ायर और अमेज़ का राज है वहां पर और क्या गुंजाईश बची है किसी कार के लिए। 
एक्सेंट को पहली नज़र में देखिए और आपको ग्रैंड आई 10 की याद आएगी। बुनियाद तो है ही। चेहरा मोहरा बिल्कुल वही है। ह्युंडै की फ़्लूइडिक डिज़ाइन फ़िलॉसफ़ी के तहत जो भी कारें आई हैं, आकर्षक रही हैं। भीड़ से अलग दिखती हैं। ऐसे में एक्सेंट भी उसी परिवार का हिस्सा लगेगी। लेकिन हैचबैक से सेडान बनी कारों में हम पिछले हिस्से पर ज़्यादा ध्यान देते हैं कि डिक्की लगाते लगाते कार को बदसूरत तो नहीं बना दिया गया है, या फिर कार उटपटांग तो नहीं दिख रही है। और ऐसे में कहूंगा कि डिज़ाइनर ने अच्छे तरीके से बूट यानि डिक्की को अगले हिस्से से मिलाया है। मुझे बहुत ख़ूबसूरत तो नहीं लगी लेकिन देखने में ठीक लगती है। हां ये भी याद रखने वाली बात है कि ह्युंडै इसके बूटस्पेस के बारे में बता रही है कि ये सेगमेंट में सबसे ज़्यादा बूटस्पेस के साथ आने वाली कार है। 
और जगह के मामले में कार के अंदर भी मामला अच्छा ही है। पिछली सीट पर जगह काफ़ी अच्छी सी है, जिसे लेगरूम और नी रूम कहते हैं। छोटी कार होने के हिसाब से पैर रखने के लिए ठीक ठाक जगह। दो लोग आराम से, तीन लोग थोड़े कम आराम से बैठ सकते हैं। सीट भी ठीक ठाक आरामदेह है। जिस डीज़ल वेरिएंट को मैंने चलाया वहां पर पिछली सीट के लिए रियर एसी वेंट दिया गया था। तो ये इस सेगमेंट के हिसाब से एक्सक्लूसिव आरामदेह फ़ीचर। अगली सीट या ड्राइवर सीट पर जाकर एक्सेंट सबसे प्रभावशाली लगती है। जहां ग्रे और भूरे रंग में मिलाकर बनाए डैश के बीच में अच्छे डिज़ाइन के साथ कार के बटन, नॉब, और एसी वेंट को पेश किया गया है। म्यूज़िक के लिए ऑक्स इन और यूएसबी पोर्ट भी दिया गया है। यहां पर आपको आकर कार अपने सेगमेंट से बेहतर प्रीमियम लुक और फ़ील देगी। स्टीयरिंग पर आपके लिए म्यूज़िक के साथ मल्टीमीडिया कंट्रोल दिया गया है। तो इस फ्रंट पर कार लोडेड है। 
जब आप चलाना शुरू करते हैं कार को तब लगता है कि आप किस सेगमेंट की कार को चला रहे हैं। इसके ड्राइव में रोमांच नहीं प्रैक्टिकैलिटी महसूस होगी। ज़ाहिर है कार का मक़सद भी यही होना है। ग्राहकों की नज़र में इसमें लगे 1.1 लीटर डीज़ल इंजिन से कार की निकलने वाली साढ़े 24 किमीप्रतिलीटर की माइलेज को ज़्यादा तरजीह दी जाएगी बजाय इससे निकलने वाली बीएचपी को। या फिर टॉप स्पीड को। जो इसे फ़ैमिली कार बनाए बजाय स्पोर्ट्स कार बनाने के। तेज़ रफ़्तार पर हैंडलिंग में बेहतरी की गुंजाईश है लेकिन मोटे तौर पर आम ड्राइविंग हालात में कार की ड्राइव संतोषजनक कही जाएगी। 
तो इस व्यवहारिक पैकेज को ह्युंडै ने अमेज़ और डिज़ायर से सस्ते में पेश किया है। इसके पेट्रोल वर्ज़न में मैन्युअल और ऑटोमैटिक विकल्प भी हैं, एक्स शोरूम क़ीमत चार लाख 66 हज़ार से 7 लाख 20 हज़ार रु के बीच है। वहीं डीज़ल वर्ज़न की एक्सशोरूम क़ीमत लगभग पांच लाख 66 हज़ार से सवा सात लाख के आसपास है। इसकी शुरूआती क़ीमतें अमेज़ और डिज़ायर से कम हैं। यानि लड़ाई ने नया मोड़ ले लिया है। जंग और बढ़ेगी जब कुछ और प्रोडक्ट यहां आ जाएंगे।


((कुछ वक़्त पहले छपी..))

November 12, 2014

क्या चीज़ है ये मार्केज़ !!!


कोई बहुत ज़ोरदार फॉलोवर नहीं हूं मैं मोटरस्पोर्ट्स का। मोटरस्पोर्ट्स की दुनिया में क्या चल रहा है ये नज़र रहती है, रखनी भी पड़ती है…लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं फ़ॉर्मूला वन के एक-एक पल के बारे में पूरी जानकारी रखता हूं, रेसरों की ज़िंदगी और रेसिंग से जुड़े एक एक पल, उनकी कहानियों और किंवदंतियों के बारे में बहुत डीटेल में जाने का वक़्त नहीं मिल पाता है। लेकिन ऐसा नहीं कि इस मसरूफ़ियत के बीच मैं वो पल भूल जाऊं कि कैसे मैंने वैलेंटीनो रॉसी से मुलाक़ात की थी और कैसे उसके साथ फ़ोटो खिचाया था। कैसे इस इंटरव्यू या मीडिया की भाषा में कहें तो इंटरऐक्शन के बीच जॉन अब्राहम किनारे से हो गए थे। वो मौक़ा था यामाहा के एक ईवेंट का जब यामाहा की मोटो जीपी टीम के राइडर, मोटरसाइकिल रेसिंग के सबसे सनसनीख़ेज़ सितारे वैलेंटीनो रॉसी और भारत में यामाहा के ब्रांड एंबैसेडर जॉन अब्राहम एक साथ कुछ प्रेस टीम से मिले थे। रॉसी उससे पहले भी पसंद था और आज भी पसंद है। उसकी सफलता के ऊपर नज़र रहती है और असफलताओं से थोड़ी निराशा भी होती है। एक रेसर जिसने मोटो जीपी यानि मोटरसाइकिलों की रेसिंग की दुनिया के लिए वो किया जो शायद हमारे जेनरेशन में माइकल शूमाकर ने फ़ॉर्मूला वन के लिए और सचिन ने क्रिकेट के लिए किया। रेस सर्किट में रॉसी की दिलेरी आजकल यूट्यूब पर आराम से देखी जाती है। आप में से जो मोटो जीपी रेसिंग की दुनिया से परिचित हैं उन्हें पता ही होगा कि रॉसी फिर से यामाहा की टीम के लिए रेस करते हैं, इस बीच में वो डुकाटी की टीम से हो आए हैं। हालांकि रॉसी के इर्द गिर्द की कहानियों में अब वो चुलबुलापन, सनसनी नहीं जैसे पहले थी। हाल में वो चार साल बाद पोल पोज़ीशन ले पाए। और फिर भी रेस में और चैंपियनशिप में दूसरे नंबर पर ही रहे। और पहले नंबर पर है वो शख़्स जिसने मोटरसाइकिल रेसिंग में वो कर दिखाया है कि सब भौंचक्के हैं, रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाता ऐसा नौजवान जिससे भिड़ने के बारे में फ़िलहाल ख़ुद रॉसी भी नहीं सोच सकता है। 
वो है मार्क मार्केज़। 
ये स्पेनिश राइडर एक ऐसा अजूबा है कि रिकॉर्ड की किताबें रंग दी गई हैं, रेस के जानकार भौंचक्के हैं और रॉसी जैसा रेसर इसे अपना बैड लक कह रहा है, जो उसे चैंपियनशिप ये जीत से इतनी दूर किए हुए है कि रॉसी बेबस दूर खड़ा है। 
मार्क मार्केज़। 

जब से मैंने ये नाम सुना तब से उसके नाम के साथ लोगों को यही कहते सुना है - आख़िर ये चीज़ क्या है मार्केज़ ? जिसने 2008  से हिला के रखा हुआ है मोटरसाइकिल रेसिंग की दुनिया को। फ़िलहाल मोटोजीपी का लगातार दूसरे साल वर्ल्ड चैंपियन है। जब आप खोजने जाएं तो पता चलेगा कि ये वो राइडर है जिसने सबसे कम उम्र में जीतने के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। एक से एक नए रिकॉर्ड बना दिए हैं। 1993 में पैदा मार्केज़ ने पहली बार 125 सीसी कैटगरी में क़दम रखा, जब उसकी उम्र पंद्रह साल से थोड़ी ही ऊपर थी। और तब से लेकर अब तक इस रोमांचक दुनिया को और हिलाया हुआ है। 20120 में 125 सीसी वाले कैटगरी में वर्ल्ड चैंपियन बना। 2012 में मोटो २ का वर्ल्ड चैंपियन, अब 2013 और 2014 का मोटोजीपी वर्ल्ड चैंपियन बना हुआ है। मोटोजीपी में भी सबसे कम उम्र में जीत हासिल करने वाला राइडर बना ये। तो ये सब रिकॉर्ड काफ़ी हैं समझाने के लिए कि इसकी काबिलियत क्या है। क्या इसका टैलेंट है और क्या ये आने वाले वक्त में कर सकता है।
फ़िलहाल मार्केज़ हौंडा रेप्सॉल रेसिंग टीम का राइडर है। तो एक वक्त में अपनी तेज़ी और ड्रामा की वजह से जैसे रॉसी नामी था, वैसे ही मार्केज़ के बारे में भी दुनिया बात कर रही है लेकिन इसमें तेज़ी ज़्यादा है ड्रामा कम है। तो आपमें से  किसी की भी थोड़ी भी दिलचस्पी है मोटरसाइकिल रेसिंग में तो इस नाम को याद रखिएगा। अगले सीज़न में भी नज़र रहेगी इस नौजवान पर जिसने रफ़्तार पकड़ी हुई है। 93 नंबर की बाइक पर नज़र रखिएगा आप लोग भी।